*महिलाओं पर अत्याचार*
*मनुस्मृति में कहाँ गया है :-*
*यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।*
*यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।*
अर्थात :- मनुस्मृति अध्याय 3 श्लोक क्रमांक 56 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जहां स्त्रीजाति का आदर सम्मान होता है, उनकी आवश्यकताओं-अपेक्षाओं की पूर्ति होती है उसी स्थान, समाज तथा परिवार पर देवतागण प्रसन्न रहते हैं | जहां ऐसा नहीं होता और उनके प्रति तिरस्कारमय व्यवहार किया जाता है | वहाँ देव कृपा भी नहीं रहती है और वहां संपन्न किए गए कार्य सफल नहीं होते है |
चूंकि अधिकतर यह बात को भूल गए हैं कि या फिर उन्हें पता नहीं है इसलिए वह महिलाओं पर दिन-प्रतिदिन अत्याचार करते हैं | महिलाओं पर अत्याचार शारीरिक मानसिक व अनेक प्रकार के अपशब्दों का प्रयोग व अनेक प्रकार से किया जाता रहा है | मनुष्य ने केवल महिला को केवल भोग की वस्तु समझ लिया है तथा वे समझते हैं कि महिलाएं मात्र भोग व हमारे काम की वस्तु है, इसलिए महिलाओं पर अत्याचार करते है |
वर्तमान समय में भी हमें कई बार ऐसे देखने व सुनने को मिलता है आज दहेज के कारण मारपीट की गयी या फि दहेज के न देने से किसी को जला दिया गया अनेक ऐसे कई उदाहरण प्राप्त होते हैं | महिलाओं पर अत्याचार आज से नहीं बल्कि या कई हजारों वर्ष पूर्व से चला आ रहा है |
मुगलों का हिन्दू नारियों पर अत्याचार- Nari Atyachar, Mahila Atyachar
महाभारत काल में भी ऐसा उदाहरण देसुनने को मिलता है जब पांडवों द्वारा द्रौपदी को जुए में दांव पर लगा दिया जाता है और दूसरी और कौरवों द्वारा द्रौपदी को जुएँ में जीत लिया जाता है | सर्वप्रथम यह कि द्रौपदी को पांडवों द्वारा जूएं में दाँव पर लगाना अनुचित था दूसरी कौरवों द्वारा द्रौपदी को अपमानित करना उस पर भरी सभा में उसे अपशब्द कहना और उसका चीर हरण करना यह सभी अत्याचार की श्रेणी में आता है |
विस्मय मकी बात यह है कि जब द्रौपदी पर अत्याचार हो रहा था तब सभी पांडवों वह योद्धाओं द्वारा मौन रहना आश्चर्यजनक था | लेकिन अपने ऊपर हुए अत्याचार व अपमान का बदला लेने भाव के कारण द्रौपदी शपथ लेती है जब तक मैं अपने सिर के केश दुशासन के रक्त से न धो लू तब तक मैं अपने केश का संधान नहीं करुगी | दुशासन वध के बाद ही उसके रक्त से द्रौपदी अपने केश पर लगाती है और अपने बालों को बांधती है |
महिलाओं को भारतीय संस्कृति में माता का दर्जा दिया गया है और दुर्गा सप्तशती के लिए कहा भी गया है कि :-
*या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*
अर्थात्, जो देवी सभी प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है।
अगर महिलाओं पर अत्याचार होते रहेंगे तो निश्चित ही आप का विनाश होना तय है | अगर महिला मां स्वरूप में कोमलता की मूर्ति है, तो दूसरी तरफ वाह मां कालिका स्वरूप भी है, जो अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ खुद लडना जानती है |
हमारे भारत में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए कई प्रावधान है | *जैसे:-*
•दंड संहिता की धारा 294 अंतर्गत सार्वजनिक स्थान पर बुरी गालियां देना,अश्लील गाने गाना जो कि सुनने पर बुरे लगें का दंडनीय प्रावधान हैं।
•धारा 354 के अंतर्गत महिला की लज्जाशीलता भंग करने के लिए उसके साथ बल का प्रयोग करना,
•धारा 363 के अंतर्गत विधिपूर्ण संरक्षण से महिला का अपहरण करना,
•धारा 364 के अंतर्गत हत्या करने के उद्देश्य से महिला का अपहरण करना,
•धारा 366 के अंतर्गत किसी महिला को विवाह करने के लिए विवश करना या उसे भ्रष्ट करने के लिए अपहरण करना,
•धारा 371 के अंतर्गत किसी महिला के साथ दास के समान व्यवहार,
•धारा 372 के अंतर्गत वैश्यावृत्ति के लिए 18 वर्ष से कम आयु की बालिका को बेचना या भाड़े पर देना।
यह सभी भारतीय दंड संहिता की धाराएं महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने हेतु व उन्हे सुरक्षा प्रदान करने हेतु है | अगर महिलाओं पर कोई अत्याचार करता है, तो इन भारतीय दंड संहिता के तहत न्यायालयों उन्हें दंड देता है |
*कहाँ गया है:-*
*'स्त्री ना होती जग म्हं, सृष्टि को रचावै कौण।*
*ब्रह्मा विष्णु शिवजी तीनों, मन म्हं धारें बैठे मौन।*
*एक ब्रह्मा नैं शतरूपा रच दी, जबसे लागी सृष्टि हौण।'* (महिला अत्याचार पर शायरी)
अर्थात, यदि स्त्री नहीं होती तो सृष्टि की रचना होना असंभव था। स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तक सृष्टि की रचना करने में असमर्थ बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने नारी की रचना की, तभी से ये संपूर्ण सृष्टि की शुरुआत हुई।
अंततः महिलाओं पर किसी भी प्रकार का अत्याचार ना करें और उन पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं तभी हमारा भारत विश्व गुरु बनेगा |
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