रुद्राक्ष पहनने के नियम : Rules For Wearing Rudraksha | रुद्राक्ष माला पहनने के नियम

रुद्राक्ष पहनने के नियम एवं महत्व / Rudraksha Pahanane Ke Niyam

क्या आपने रुद्राक्ष धारण किया है या अथवा रुद्राक्ष धारण करने की सोच रहे हैं। आप भगवान शिव के भक्त हैं तो ऐसे में आप रुद्राक्ष पहनने की सोच रहे होंगे, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि यदि आप बिना नियम के रुद्राक्ष धारण करते हैं तो यह फायदे की जगह नुकसान कर सकता है। 

अतः आपको रुद्राक्ष पहनने के नियम जरूर पता होना चाहिए। रुद्राक्ष माला पहनने के नियमों के बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसी के बाद रुद्राक्ष धारण करें। इसकी पूरी जानकारी यहां दी जा रही है। 

अतः यदि आप भी रुद्राक्ष की माला अथवा रुद्राक्ष धारण करते हैं, भगवान शिव के भक्त हैं तो रुद्राक्ष पहनने से पहले यहां बताए गए रुद्राक्ष पहनने के नियम, रुद्राक्ष माला पहनने के नियम जरूर पढ़ लें। रुद्राक्ष साक्षात भगवान शिव का रूप है। इसमें शिव के साथ-साथ शक्ति भी समाहित है। 

रुद्राक्ष की उत्पत्ति से संबंधित घटना के बारे में तो आपको पता ही होगा। जब माता सती ने आत्मदाह कर लिया था तो उस घटना के पश्चात भगवान शंकर अत्यंत विरह वेदना में होने के कारण अश्रु पात करने लगे थे।

इसी के कारण उनके आंखों से गिरे हुए आंसुओं से रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई और यह हिमालय क्षेत्रों में विशेष रूप से कैलाश, नेपाल, उत्तराखंड के उत्तरी हिस्सों में पाए जाते हैं। 

निष्कर्ष रूप से कहा जाए तो रुद्राक्ष बहुत ज्यादा चमत्कारी एवं प्रभावी होते हैं। भगवान शिव का साक्षात नेत्र रूप में रुद्राक्ष माना जाता है। रूद्र शब्द का अर्थ साक्षात शिव शंकर होता है और अक्ष का मतलब उनकी आंखें। 

इसको धारण करने से पहले आपको रुद्राक्ष पहनने के पूर्व नियम, रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम, रुद्राक्ष माला पहनने के नियम, रुद्राक्ष पहनने के बाद क्या नहीं करना चाहिए- सभी बातों के विषय में अच्छे से जानकारी होनी चाहिए. 

आपको एक हफ्ते में ही बहुत ज्यादा चमत्कारी एवं असरदार सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे. आइए जानते हैं रुद्राक्ष पहनने के विशेष नियम।

रुद्राक्ष पहनने के नियम : Rules For Wearing Rudraksha, रुद्राक्ष माला पहनने के नियम

ज्योतिष शास्त्र एवं सामुद्रिक शास्त्र के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार का रत्न धारण नहीं कर सकता है। हर व्यक्ति की कुंडली एवं ग्रहों के अनुसार उसको अलग अलग प्रकार के रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है।

रुद्राक्ष भी महारत्नों में से एक विशेष प्रकार का रत्न या माला मानी जाती है। ऐसे में आपको इस बात का विशेष पता होना चाहिए कि क्या आप रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं अथवा नहीं। 

अब रुद्राक्ष पहनना चाहिए या नहीं। इसके लिए यहां बताए गए रुद्राक्ष पहनने के नियम, रुद्राक्ष पहनने से पूर्व के नियम एवं रुद्राक्ष माला पहनने के बाद के नियम जरूर समझें।

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रुद्राक्ष धारण करने के नियम / Rudraksha Dharan Karne Ke Niyam

  • जब भी आप रुद्राक्ष धारण करें तो निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें।
  • मानसिक एवं आन्तरिक पवित्रता बनाए रखें।
  • रुद्राक्ष धारण करने से पहले स्नान करें।
  • भगवान शंकर के पंचाक्षरी मंत्र ओम नमः शिवाय के जाप के साथ रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
  • रुद्राक्ष माला पहनने के समय बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं। 
  • रुद्राक्ष पहनने से पहले भगवान शंकर की पूजा कर सकते हैं। अभिषेक कर सकते हैं अथवा किसी भी प्रकार का अनुष्ठान भी करवा सकते हैं।
  • यदि आप व्यक्तिगत रूप से रुद्राक्ष धारण करते हैं तो भगवान शंकर एवं शक्ति का ध्यान अवश्य करें। यथासंभव यथाशक्ति उनकी पूजा करें।
  • जब आप रुद्राक्ष धारण कर लेते हैं तो इस पर हफ्ते या महीने में जैतून के तेल से मालिश जरूर करनी चाहिए। 
  • रुद्राक्ष बहुत सख्त एवं कठोर होते हैं। इन पर चंदन के तेल से मालिश करनी चाहिए ऐसा शास्त्र में उल्लेख किया गया है। 

यदि आपने रुद्राक्ष धारण किया है और आप 1 हफ्ते तक इसको उतार के रखते हैं तो यह रुद्राक्ष निद्रा की अवस्था में चला जाता है। यानी इसका असर खत्म हो जाता है। इसीलिए इसको लंबे समय तक उतारकर के भी ना रखें। 

यदि किसी कारणवश आप 1 हफ्ते 2 हफ्ते के लिए रुद्राक्ष को उतार देते हैं तो उसके बाद फिर से आपको इसको पुनर्जीवित करना होता है। इस विधि को आप मंत्र के द्वारा कर सकते हैं या भगवान शंकर के पंचाक्षर मंत्र का भी उपयोग कर सकते हैं।

शास्त्र की दृष्टि के अनुसार यदि आप Gym करने जाते हैं। Swimming करने जाते हैं. नहाने जाते हैं. लैट्रिन जाते हैं तो रुद्राक्ष की माला को उतार दें. इस बात का शास्त्र में स्पष्ट निर्देश है।

रुद्राक्ष के शीघ्र परिणाम देखने के लिए आपको सही नियम पूर्वक रुद्राक्ष धारण करना चाहिए एवं विशेष रूप से आदि योगी महादेव के पद चिन्हों पर चलने की कोशिश करनी चाहिए. महादेव महायोगी के बताए गए सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए यदि आप रुद्राक्ष धारण करते हैं तो आपको 7 दिनों में ही अजीबोगरीब सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।

कुछ परिस्थितियों में रात्रि को सोते समय रुद्राक्ष को निकालने की सलाह दी जाती है. रात को सोते समय रुद्राक्ष को उतारना ही ज्यादा बेहतर है या यदि आप रुद्राक्ष को निद्रा की अवस्था में भी पहने रखते हैं तो एक बार रात्रि को स्नान अवश्य करें।

पूर्ण रूप से रुद्राक्ष का फल प्राप्त करने के लिए प्रातः काल से लेकर संध्या काल तक रुद्राक्ष को शरीर में पहने रखना चाहिए. इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि तीन समय स्नान करना जरूरी है. प्रातः काल, मध्यान्ह काल और एवं सायं काल।

यदि इससे भी ज्यादा बेहतर परिणाम देखना चाहते हैं तो रात्रि काल को भी रुद्राक्ष को पहने रखें। बशर्ते रात को एक बार स्नान अवश्य करें।

शास्त्र दृष्टि से यह भी एक कठोर या विशेष नियम है। यदि आप रुद्राक्ष को नियम पूर्वक मंत्र विधि से धारण करते हैं और विशेष उद्देश्य के लिए धारण करते हैं तो अपने पहने हुए रुद्राक्ष को या अपनी पहनी हुई रुद्राक्ष की माला को किसी भी परिजन, किसी मित्र बंधु आदि के साथ साझा न करें। 

जब आप रुद्राक्ष की माला को पूर्ण रूप से प्रभु के चरणों में समर्पित करना चाहें तो इसको भगवान के मूल स्थान पर छोड़ सकते हैं या फिर गंगा में प्रवाहित कर सकते हैं। 

आमतौर पर रुद्राक्ष को बृहस्पतिवार अथवा सोमवार के दिन ही धारण करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में उसकी राशि का स्वामी गुरु हो अथवा लग्न में मीन राशि हो अथवा धनु राशि हो तो ऐसे जातकों को गुरुवार के दिन ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 

वहीं यदि कुंडली में चंद्रमा, बुध अथवा सूर्य हो तो सोमवार के दिन रुद्राक्ष धारण करें। यह भी रुद्राक्ष पहनने का एक विशेष नियम है। 

वैष्णव अथवा शैव अथवा शाक्त रुद्राक्ष को किसी भी श्मशान घाट में नहीं ले जा सकते हैं। किसी भी अंत्येष्टि क्रिया में भी रुद्राक्ष पहनना वर्जित माना गया है। 

इस क्रिया को केवल तांत्रिक अघोरी या अन्य शिव के विशेष भक्त ही कर सकते हैं। इसके अलावा सामान्य स्थिति में आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सोमवार या गुरुवार के दिन रुद्राक्ष पर चंदन के तेल का इस्तेमाल करें। इसको चंदन के तेल से लेपित करें।

रुद्राक्ष को संभोग अवस्था में अथवा किसी भी मादक स्थिति में धारण न करें। यदि आप एक स्त्री हैं तो अपने मासिक चक्र के दौरान भी आपको रुद्राक्ष उतार देना चाहिए अन्यथा इसका बहुत घातक परिणाम आपको देखने को मिलेगा।

मासिक चक्र के पूरा होने के बाद ही आप पुनः पूर्व वाली विधि से उसी रुद्राक्ष को धारण करें।

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मूल रूप से Rudraksha बहुत उष्ण प्रकृति का तत्व एवं रत्न है। इसको धारण करने से पहले आपको ज्योतिषाचार्य से परामर्श जरूर ले लेना चाहिए। हो सकता है यह आपके शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न कर दे. आपके शरीर में एलर्जी हो सकती है. चर्म रोग हो सकता है. उदर रोग हो सकता है. पाचन तंत्र पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. यदि आप नियम पूर्वक रुद्राक्ष धारण नहीं करते हैं।


रुद्राक्ष की यह भी विशेष बात है कि इसे आप किसी भी चांदी या सोने की धातु में धारण न करें. रुद्राक्ष को शास्त्र के अनुसार किसी भी धातु आदि में धारण करने की सलाह नहीं दी जाती है।


रुद्राक्ष पहनने के अद्भुत फायदे / Rudraksha Pahanane Ke Labh

यदि आपको रुद्राक्ष पहनने के अनोखे फायदों के बारे में पता नहीं है तो हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष शारीरिक, भौतिक, अध्यात्मिक सभी प्रकार की उन्नति में विशेष कारगर है। रुद्राक्ष रहस्यवादी उपचारात्मक औषधि है। 

रुद्राक्ष Nervous System को संतुलित एवं सुव्यवस्थित करने में विशेष कारगर है. इसके अलावा रुद्राक्ष आपके Digestion System को भी Purify करता है. 

रुद्राक्ष के वैज्ञानिक महत्व, वैज्ञानिक फायदे स्वयं आज का आधुनिक विज्ञान स्वीकार करता है. इसके अलावा आध्यात्मिक महत्व पुराणों में, धर्म शास्त्रों में पहले से ही बताया गया है। 

यदि आप रुद्राक्ष पहनने के सभी फायदों के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें- रुद्राक्ष पहनने के फायदे


रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम / रुद्राक्ष माला पहनने के नियम / rudraksha mala pahanne ke niyam

जिस प्रकार से रुद्राक्ष पहनने से पूर्व के नियम आवश्यक हैं। ठीक उसी प्रकार से रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम भी उतने ही जरूरी हैं। अन्यथा यह बहुत ज्यादा नुकसानदायक होता है। 

भगवान शिव का अपमान होता है और यदि किसी भी परिस्थिति में आपकी कुंडली, आपकी ज्योतिष आपका Horoscope, BirthChart आपको रुद्राक्ष पहने की अनुमति नहीं देता है और आपने रुद्राक्ष धारण कर लिया हो और आप इसके नियमों का ध्यान नहीं रखते हैं तो यह आपके लिए बहुत नुकसानदायक होगा. 

वहीं यदि कोई व्यक्ति रुद्राक्ष पहनने के पूर्व के नियम एवं बाद के नियम सभी का ध्यान पूर्वक पालन करता है तो रुद्राक्ष पहनना किसी चमत्कार से कम नहीं है. ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से, सामुद्रिक शास्त्र की दृष्टि से शकुन शास्त्र की दृष्टि से एवं प्रश्न शास्त्र के अनुसार भी तात्कालिक समस्याओं के निदान के लिए रुद्राक्ष धारण करने मात्र से सभी प्रकार के क्लेश, विपदाएं दूर हो जाती हैं। 

आगे बताए गए रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियमों को ध्यान पूर्वक देखें पढ़ें. उनको समझें। इसी के बाद रुद्राक्ष भगवान शंकर के इस अद्वितीय साक्षात रत्न को धारण करें।

रुद्राक्ष पहनने के बाद क्या क्या नहीं करना चाहिए?

यदि आप रुद्राक्ष धारण कर चुके हैं। भगवान भोलेनाथ के भक्त हैं। किसी भी वजह से आपने रुद्राक्ष धारण कर लिया है। उसके बाद पूजा करने के बाद के नियम बहुत ही विशेष अनुकरणीय है। अन्यथा यह आपको अप्रत्यक्ष रूप से हानी पहुंचा सकता है। 

  • रुद्राक्ष धारण करने के बाद आपको किसी भी प्रकार का मांसाहार नहीं करना चाहिए।
  • रुद्राक्ष माला पहन कर लैट्रिंग में न जाएं।
  • रुद्राक्ष माला पहनने के बाद किसी भी प्रकार के मादक पदार्थ का सेवन ना करें।
  • इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि रुद्राक्ष शरीर के ऊपरी हिस्से वाले अंगों में ही धारण करें। नाभि से ऊपर केवल भुजाओं में एवं गले में रुद्राक्ष धारण करने की अनुमति दी जाती है।

रुद्राक्ष अशुद्ध कब होता है?

आमतौर पर रुद्राक्ष दो परिस्थितियों में अशुद्ध होता है। एक तो रुद्राक्ष मूल रूप में ही अशुद्ध माना जाता है। इसका कारण आप किस जगह से रुद्राक्ष ले रहे हैं। नेपाल के क्षेत्रों में पाई जाने वाले रुद्राक्ष विशेष विशुद्ध माने जाते हैं। 

वहीं स्थानीय दृष्टि से कुछ जगह के रुद्राक्ष अशुद्ध होते हैं। इसके अलावा रुद्राक्ष मूल रूप से अशुद्ध हो सकता है। दूसरी स्थिति में यदि आप शुद्ध रुद्राक्ष धारण करते हैं। यह बाद में पहनने के बाद भी अशुद्ध हो जाता है। 

इसके लिए आपको Rudraksha Dharan करने के विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है। इसमें कुछ विशेष ध्यातव्य बातें निम्नलिखित हैं

यदि आप रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियमों का ध्यान नहीं रखते हैं तो यह 3 दिन या 7 दिन के बाद अशुद्ध हो जाता है यानी कि इसका फिर से शुद्धीकरण करना होता है अन्यथा यह निष्प्रभावी हो जाता है।

रुद्राक्ष को यदि गलत अंग में धारण किया जाए तो यह तत्काल अशुद्ध हो जाता है। इस तरह से पहने गए रुद्राक्ष का किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं होता है।


इस बात का भी ध्यान रखें कि यदि आपने अशुद्ध रुद्राक्ष धारण किया हो या अशुद्ध तरीके से Rudraksha Pahana हो तो यह फायदे की जगह आपके लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि रुद्राक्ष पहनना भगवान शंकर की भक्ति को दर्शाता है और इसका अपमान करना साक्षात शिव शंकर का अपमान होता है. 

अतः ऐसे में भगवान शंकर यदि रुष्ट हो जाएं तो निस्संदेह उस व्यक्ति की कुंडली में, ज्योतिष विज्ञान में सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार या साक्षात् प्रत्यक्ष रूप में भी तरह-तरह के उपद्रव एवं वैमनस्यता देखने को मिलती है।


रुद्राक्ष को गले में कैसे पहने? / Gale Mein rudraksha pahanne ke niyam

आमतौर पर रुद्राक्ष को 3 स्थानों पर पहनने की अनुमति दी जाती है। महिला हो या पुरुष, यदि रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो आपको इसके पहनने के नियम भी अच्छे से समझने चाहिएं। रुद्राक्ष को गले में धारण स्त्रियां कर सकती है। 

इस बात का ध्यान रखें। यदि आप एक स्त्री हैं तो रुद्राक्ष को गले में ही धारण करें। कई स्त्रियां रुद्राक्ष को अपनी बाहों में धारण करती हैं जो कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बिल्कुल गलत माना जाता है। 

स्त्रियों को रुद्राक्ष को अपनी जटाओं या सिर के ऊपर पहनना चाहिए अथवा गले में भी पहन सकते हैं। रुद्राक्ष को गले में पहनने की विधि निम्न प्रकार से है

  • आप कितने मुखी रुद्राक्ष पहनते हैं। पहले इस बात का ध्यान रखें।
  • गले में 14 मुखी रुद्राक्ष से लेकर 21 मुखी रुद्राक्ष तक कोई भी रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।
  • गले में हमेशा दो या तीन रुद्राक्ष के दाने ही धारण करने चाहिए।
  • हालांकि आप चाहें तो पूरी रुद्राक्ष की माला भी गले में पहन सकते हैं जिसमें 108 दाने हों, लेकिन इसके नियमों का विशेष ध्यान रखें।

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प्रिय पाठकों, आज के इस आर्टिकल में भारत की नंबर वन हिंदी संस्कृत धार्मिक एजुकेशनल वेबसाइट SanskritExam.Com पर रुद्राक्ष पहनने के नियम, रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम, रुद्राक्ष पहनने के पहले के नियम, रुद्राक्ष माला पहनने के नियम इत्यादि रुद्राक्ष धारण करने के नियमों से संबंधित विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी‌। 

यदि आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई सवाल हो तो आप बेझिझक नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं। आपके कमेंट का जवाब कुछ ही मिनटों में आपको मिल जाएगा। 

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