Basant Panchami 2023: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र व बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व

आप सभी को हैप्पी बसंत पंचमी २०२३। बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। बसंत पंचमी हिंदू सनातन धर्म का एक विशेष उत्सव है। 

आज ही के दिन समस्त ज्ञान व कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती श्वेतकमल पर बैठी हुई, हाथों में वीणा व पुस्तक धारण करती हुई, भक्तों को अभय वर देने के लिए व अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाने के लिए साकार रूप में प्रकट हुई थीं। 

इधर बसंत पंचमी मां सरस्वती के जन्मदिन की तरह मनाया जाता है तो दूसरी ओर पक्षियों की चहचहाहट, नये फूलों का खिलना, प्रकृति में हरियाली सी खिलना बसंत ऋतु की अनुपम विशेषता है। बसंत पंचमी के इस पवित्र त्यौहार के बारें में जितना भी कहें, उतना कम है।

'प्रकृति का शृंगार है बसंत ऋतु।

नव उर्जा की पुकार है बसंत ऋतु। (कविवर सन्दीपकोठारी)'

आइये, जानते हैं इस वर्ष बसंत पंचमी के बारें में- Basant Panchami 2023: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र एवं‌ जानिए- बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व


बसंत पंचमी का महत्व व इतिहास (Basant Panchami)

हिंदू सनातन धर्म में सभी ऋतु में वसंत ऋतु सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। भगवान श्री कृष्ण स्वयं गीता के दसवें अध्याय में अर्जुन को बताते हैं कि सभी ऋतुओं में मैं बसंत ऋतु हूं।

ऋतूनां कुसुमाकरः। - गीता, अध्याय 10

एक ओर जहां सभी ऋतु में बसंत ऋतु को श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ वसंत ऋतु के आगमन पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का पावन उत्सव भी मनाया जाता है। 

बसंत पंचमी का इतिहास सृष्टि के उस आदि काल क्रम से जुड़ा हुआ है, जब ब्रह्मा जी ने इस चराचर जगत को सृजित किया। बसंत पंचमी के उत्सव के दिन ही समस्त ब्रह्मांड की ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का साकार रूप प्रकट हुआ था। 

ब्रह्मांड के सभी तत्वों में से ज्ञान रूपी तत्व सबका सार एवं मोक्ष का साधनभूत अंग है। ज्ञान, बुद्धि, संगीत, शिल्प, कला आदि सभी प्रकार की विद्याएं मां सरस्वती के करकमलों से निसृत होती हैं। 

बसंत पंचमी का जितना धार्मिक महत्व है, उतना ही वैज्ञानिक महत्व भी है। दुनिया के सबसे बड़े से बड़े वैज्ञानिक भी बसंत पंचमी के समय को विशेष मानते हैं।


बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?

हिंदू सनातन पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ मास, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के उत्सव के रूप में जाना जाता है। पूरब से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण समग्र भारत में बसंत पंचमी को पूर्ण हर्षोल्लास एवं तन्मयता के साथ मनाया जाता है। 

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इस साल 2023 में बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त 

इस वर्ष भारतीय सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पावन पर्व 26 जनवरी के दिन मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार 25 जनवरी को 12:34 के बाद पंचमी तिथि प्रारंभ हो रही है। 

जो कि अगले दिन यानी 26 जनवरी को 10:00 बज कर 28 मिनट तक रहेगी। इस दृष्टि से सूर्य के उदय काल को देखते हुए 2023 में बसंत पंचमी 26 जनवरी के दिन प्रातः काल मनाई जाएगी। 

अतः बसंत पंचमी के लिए शुभ मुहूर्त 26 जनवरी के 10:00 बजे से पहले है। यानी बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा प्रातः काल 10:00 बजे से पहले शुरू कर लेनी चाहिए. 

ज्योतिष पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2023 में बसंत पंचमी के दिन बहुत ही अच्छा योग बन रहा है. 

माघ मास की इस पंचमी तिथि के दिन शिव नामक योग बन रहा है जो कि काफी अच्छा माना जाता है। इस दिन चंद्रमा मीन राशि में तथा सूर्य मकर राशि में स्थित है। अतः इस वर्ष 2023 में बसंत पंचमी का त्यौहार विशेष लाभप्रद है.

यदि आप जानना चाहते हैं कि बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है। इसके रहस्य एवं धार्मिक तथा वैज्ञानिक कारण क्या हैं तो जानने के लिए यहां क्लिक करें- बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है? रहस्य व कारण

बसंत पंचमी पर मां‌ सरस्वती की पूजा विधि एवं मंत्र 

वैसे तो बसंत पंचमी के दिन भक्तों को विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए लेकिन फिर भी यदि आपके पास इतने साधन न हों तो आप यहां बताई गई मां सरस्वती की पूजा विधि का अनुसरण कर सकते हैं। 

मां सरस्वती को समस्त ज्ञान राशि, शिल्प, कला, संगीत की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। 

मां सरस्वती साक्षात जगदंबा का प्रथम स्वरूप है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए मां सरस्वती की पूजा विधि में निम्न बातों का विशेष ध्यान रखें।

  • प्रातः काल स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • अपने घर या मंदिर आदि को स्वच्छ करें। हो सके तो पहले ही दिन अपने घर को गोबर आदि पदार्थों से लेप सकते हैं।
  • पूजा घर में मां सरस्वती की सुंदर फोटो या प्रतिमा रखें।
  • स्वयं श्वेत वस्त्र धारण करें एवं माथे पर सफेद चंदन का तिलक लगावें।
  • अपने घर को सफेद एवं पीले शतरंज या गेंदा के फूलों से सजा दें।
  • मां सरस्वती को चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप दीप आदि दिखाएं। उनको अपनी श्रद्धा भक्ति के अनुसार भोग, नैवेद्य, आरती, पुष्पांजलि आदि अर्पित करें।
  • मां सरस्वती की पूजा करने के पश्चात मां सरस्वती के कवच का पाठ भी कर सकते हैं. यह आप पूजा के पहले भी कर सकते हैं।

इस प्रकार आप अपनी श्रद्धा भक्ति के अनुसार बसंत पंचमी पर अच्छे से एवं पूर्ण पवित्रता से पूजा करें। ध्यान रहे मां सरस्वती की पूजा में मन की पवित्रता एवं तन की पवित्रता का होना अत्यंत आवश्यक है।

मां सरस्वती पूजा मंत्र (Basant Panchami Mantra)

बसंत पंचमी के दिन जब आप मां सरस्वती की पूजा करें तो माता सरस्वती के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। 

पूजा के दौरान आप ओम् श्री सरस्वतत्यै नमः इस मंत्र के द्वारा माता को विभिन्न प्रकार के द्रव्य अर्पित करें. यह बसंत पंचमी सरस्वती मंत्र है।

सबसे पहले जब पूजा शुरू करें तो मां सरस्वती का ध्यान करने के लिए निम्न मंत्र यानी श्लोक को पढ़ें।

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि।

विद्यारूपे विशालाक्षाक्षि विद्यां देहि नमोsस्तु ते।।

शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे

सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्।।

अर्थात- हे मां सरस्वती, समस्त प्रकार के अभीष्ट वर को देने वाली, विद्यारूपिणी, विशाल नेत्रों से युक्त आप को मेरा नमस्कार है‌। यदि आप संस्कृत में मां सरस्वती के इन श्लोकों का पाठ न कर सकें तो हिंदी में भी सुंदर-सुंदर प्रार्थनाएं कर सकते हैं।

उपरोक्त मंत्रों की अलावा भी माता सरस्वती के अन्य ध्यान मंत्रों अर्थात श्लोकों का पाठ कर सकते हैं। 

माता सरस्वती का पूजन करने के पश्चात भक्त अपनी श्रद्धा भक्ति के अनुसार छोटा सा हवन भी कर सकते हैं। यदि मां सरस्वती पूजन के पश्चात हवन करें तो हवन में आहुति देते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करें।

ॐ श्रीसरस्वत्यै स्वाहा

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बसंत पंचमी का व्रत कैसे करते हैं

माता सरस्वती के वरद पुत्र यानी उनके जो परम भक्त होते हैं। वह उनके इस पवित्र उत्सव में, उनकी भक्ति में किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ते हैं. 

बसंत पंचमी के दिन कुछ भक्त मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए वसंत पंचमी का व्रत रखते हैं। 

यदि आप भी बसंत पंचमी के दिन व्रत रखना चाहते हैं तो आपको निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  • मन में किसी भी प्रकार का गलत विचार न लाएं।
  • व्रत के दौरान किसी भी व्यक्ति को अपशब्द न बोलें।
  • बसंत पंचमी के व्रत में किसी भी मादक या अभक्ष्य पदार्थ का सेवन न करें।

इस वर्ष 2023 में बसंत पंचमी का व्रत आप 26 जनवरी को रख सकते हैं। हालांकि आप चाहें तो प्रातः काल पूजा से लेकर दोपहर तक भी व्रत रख सकते हैं। उसके बाद आहार ले सकते हैं।

बसंत पंचमी की पूजा से संबंधित किसी भी प्रकार का सवाल यदि आपके मन में हो तो आप नीचे कमेंट में पूछ सकते हैं। 

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