दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति- 21 दिसम्बर | दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति क्या है- जानिए पूरा रहस्य
21 दिसंबर की रात वर्ष की सबसे लंबी रात मानी जाती है। इसी दिन उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति होती है जो कि दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के रूप में जानी जाती है। वहीं दूसरी ओर दक्षिणी गोलार्ध में इसे ग्रीष्मकालीन संक्रांति अथवा दिसंबर संक्रांति भी कहा जाता है।
जब सूर्य मकर रेखा पर आता है तो उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होती है। इसी दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति को सबसे छोटा दिन अथवा सबसे लंबी रात भी कहा जाता है। 👇👇
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प्रिय मित्रों, दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति क्या है- विश्व में दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति को बड़े उत्साह के साथ क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे क्या-क्या कारण है, दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति क्या होती है, इसके बारे में पूरा विस्तार से हम आपको बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के बारे में विस्तार से (Winter solstice in hindi 21 december), Do Grahon ki Sheetkalin Sankranti) 👇
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शीतकालीन संक्रांति क्या होती है? Do Grahon ki Sheetkalin Sankranti
सबसे पहला सवाल यही होता कि शीतकालीन संक्रांति क्या है। तो आइए जानते हैं शीतकालीन संक्रांति के बारे में। हमारे सौरमंडल में प्रायः 800 साल बाद दिसंबर 21 तारीख को उत्तरी गोलार्ध में दो ग्रह आपस में एक दूसरे के नजदीक आये।
जब ये दोनों ग्रह आपस में मिले तो कहीं शीत काल का प्रारंभ होता है तो कहीं शीतकाल का अवसान होता है। इसी को शीतकालीन संक्रांति कहा जाता है। आइए दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति को विस्तार से समझिए। 👇
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति क्या होती है
सबसे पहले तो सवाल यही होता है कि दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति क्या है? शायद आपने यह नाम पहली बार सुना हो या एक दो बार सुना भी हो लेकिन आपको इसका पूरा अर्थ पता नहीं हो, तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति 21 दिसंबर को मनाई जाती है। मजे की बात है कि कुछ देशों में दो ग्रहों की शीतकालीन का मतलब होता है- सर्दियों की शुरुआत, तो वहीं कुछ देशों में दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का मतलब होता है- सर्दियों का अंत और कहीं-कहीं यह दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति सर्दियों के मध्य काल का बोध कराती है। 👇👇
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति बृहस्पति और शनि के मिलने पर 21 दिसंबर को लगभग 800 साल बाद हुई । जो कि 2020 साल की 21 दिसंबर को मनाई गई थी।
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के बारे में | |
संक्रांति का नाम | दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति |
पहली बार- | 1623 ईस्वी में |
दूसरी बार- | 21 दिसम्बर 2020 |
अन्य नाम- | Great Conjunction |
अंग्रेजी नाम- | Winter Solstice |
संक्रांति ग्रहों का नाम- | शनि व बृहस्पति |
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति वीडियो
यदि आप दो ग्रहों कि शीतकालीन संक्रांति को वीडियो के माध्यम से समझना वह देखना चाहते हैं तो नीचे दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के बारे में सारी जानकारी वीडियो के माध्यम से दी जा रही है।
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सबसे पहले दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति कब हुई थी
यह एक रहस्यमय सवाल है कि सबसे पहले दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति कब और कैंसे हुई थी। 1623 ईसवी की बात है। शनि और बृहस्पति ग्रह आपस में पहली बार एक दूसरे से मिले थे।
उसी समय दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के त्यौहार की परिकल्पना की गी। उस समय इस शीतकालीन संक्रांति को महान संयोजन (Great Cunjuction) का नाम दिया गया था। 👇
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दूसरी बार दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति कब हुई?
21 दिसंबर 2020 की रात को शनि और बृहस्पति ग्रह आपस में सम्मिलित हुए जिसके फलस्वरूप विश्व में यह घटना दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के रूप में मनाई गी।
सन 1623 के बाद लगभग 400 साल एक कालांतर बीत जाने के पर 21 दिसंबर 2020 की रात को दूसरी बार दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति मनाई गई।
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति- इतिहास व सांस्कृतिक महत्व
अलग-अलग संस्कृति में, अलग-अलग समाज में दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति अलग-अलग तरीके से समझी एवं मनाई जाती है। कहीं दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति शीतकाल की शुरुआत को बताती है तो कहीं शीतकाल के अंत को।
प्राचीन काल में तो दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति सर्दियों के अग्रदूत के रूप में जानी जाती थी। यहां शीतकालीन संक्रांति एक ऐंसा दिन होता था जिस दिन सब जगह छुट्टी होती थी और इस दिन पूरी दुनिया भर में सबसे ज्यादा मीट मांस खाया जाता था। शराब पान भी किया जाता था। वहीं कई लोगों इस दिन को देवताओं के पुनरुद्धार का दिन भी कहा। 👇
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भारतीयों के अनुसार दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति
भारत देश में 2 ग्रहों की शीतकालीन को अयन परिवर्तन के रूप में भी समझा जाता है। हिंदू धर्म के लोग इसे एक पवित्र दिन के रूप में समझते थे। अन्य संक्रांति की भांति इस दिन भी लोग गंगा स्नान, पूजन, दान आदि करते हैं। 👇
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ईसाईयों के अनुसार दो ग्रहों के शीतकालीन संक्रांति
ईसाई लोग दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति को ही क्रिसमस दिवस के रूप में मनाते हैं। उनके अनुसार दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति 25 दिसंबर को आती है जो कि शीतकालीन संक्रांति के रूप में मनाई जाती है। 👇👇
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति पर मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार
शीतकालीन संक्रांति के दिन अन्य त्यौहार | |
त्योहार का नाम | देश / जगह |
डोंगजी महोत्सव | एशिया (पूर्वी) |
यल्दा उत्सव | ईरान देश |
मिडविंटर डे | अंटार्कटिका |
कोरोचुन | स्लाविक |
यूल उत्सव | उत्तरी गोलार्द्ध |
शलाको | जूनी |
संघमिता दिवस | बौद्ध स्थल |
एल्बन अर्थ | वेल्श स्थान |
क्रिसमस डे | पश्चिमी ईसाई |
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति गूगल के द्वारा बनाया गया डूडल 2020
लगभग 400 साल बाद वर्ष 2020 में 21 दिसंबर को गूगल और नासा ने मिलकर दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का महान त्यौहार मनाया। इस दिन शनि और बृहस्पति आपस में एक दूसरे के करीब थे या यूं कहें कि दोनों ग्रह आपस में मिले हुए थे।
गूगल ने इस शीतकालीन संक्रांति को डूडल के रूप में परिकल्पित किया। गूगल और नासा ने इस दिन के बारे में बताया कि इस दिन एक आकाशीय घटना या खगोलीय घटना घटेगी और 21 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होगी। वहीं दूसरी ओर दक्षिणी गोलार्ध में ठीक इसके विपरीत स्थिति होगी। 👇
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इस प्रकार 2020 में गूगल के द्वारा यह दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का त्यौहार बड़े जश्न के साथ मनाया गया। ध्यातव्य है कि यह त्योहार गूगल ने उत्तरी गोलार्ध में मनाया।
विश्व में यह दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति सबसे लोकप्रिय त्योहार के रूप में माना जाता है जो कि एक खगोलीय घटना के रूप में जाना जाता है। इससे पहले यह घटना लगभग 400 साल पहले हुई थी। 👇
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दो ग्रहों शीतकालीन संक्रांति का रहस्य
खगोल वैज्ञानिकों का कहना है कि सौरमंडल में शनि और बृहस्पति ग्रह लाखों-करोड़ों किलोमीटर योजन दूर है लेकिन 21 दिसंबर को ये दोनों ग्रह धरती से देखने पर शीतकालीन संक्रांति के कारण एक दूसरे के अत्यंत समीप आ जाते हैं।
इसी कारण 21 दिसंबर के दिन महान संयोजन (Great Conjunction) का त्योहार अथवा दो ग्रहों के शीतकालीन संक्रांति मनाया जाता है।
भारत में दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति
2020 में भारत देश में सूर्य अस्त होने के बाद यह दो ग्रहों की तत्कालीन संक्रांति देखी गई थी जब शनि और बृहस्पति आपस में मिले हुए थे। नासा ने भी इसके बारे में कहा था कि इस दिन शनि और बृहस्पति ग्रह की कक्षाएं बहुत नजदीक होंगी। 👇
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति फिर कब होगी
भविष्य में दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति के विषय में खगोल वैज्ञानिकों ने कहा है कि वर्ष 2080 में 15 मार्च को शनि और बृहस्पति ग्रह की कक्षाएं बहुत निकटतम होंगी और उसी समय यह दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का पर्व फिर से मनाया जाएगा।
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति में क्या होता है
साल 1623 के बाद 21 दिसंबर 2020 को यह शीतकालीन संक्रांति की घटना घटी थी। दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति में शनि और बृहस्पति ग्रह आपस में मिल जाते हैं। 👇
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति की घटना खुली आंखों से देख सकते हैं?
कुछ खगोल वैज्ञानिकों का मानना है कि दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति को खुली आंखों से भी देखा जा सकता है जबकि वहीं कुछ वैज्ञानिक ऐंसा भी कहते हैं कि शीतकालीन संक्रांति को दूरबीन के माध्यम से बहुत आसानी से देखा जा सकता है।
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति: करीब होंगे शनि और बृहस्पति
मध्य प्रदेश बिड़ला तारामंडल के महानिदेशक देवी प्रसाद दुआरी ने इस घटना को दो खगोलीय पिंडों की पृथ्वी से एक दूसरे के बहुत करीब होने का संकेत किया।
वैंसे तो शनि और बृहस्पति आपस में बहुत दूर की स्थिति पर रहते हैं लेकिन जिस दिन यह एक खगोलीय घटना घटती है जो कि महान् संयोजन के नाम से जानी जाती है, उस दिन ये ग्रह बहुत करीब होते हैं। देवी प्रसाद दुआरी ने यह भी बताया कि इस दिन दोनों ग्रहों के बीच की दूरी लगभग 73. 5 करोड़ किलोमीटर होगी। 👇
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दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति को ग्रेट कंजक्शन का नाम दिया
वैज्ञानिकों ने इस खगोलीय घटना को महान संयोजन अथवा ग्रेट कंजक्शन (Great Cunjuction) का नाम भी दिया क्योंकि इस दिन धरती से शनि और बृहस्पति आपस में बहुत करीब नजर आते हैं।
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति Time
दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति का Time वर्ष 2020 में सूर्यास्त के बाद का था। भारत में यह शीतकालीन संक्रांति सूर्यास्त के बाद देखी गई थी। यदि आप दो ग्रहों की शीतकालीन संक्रांति फिल्म वीडियो देखना चाहते हैं तो उसका लिंक ऊपर दिया गया है। 👇
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