करवा चौथ की कहानी- यहां पढें | Karva Chauth Ki Kahani | Karva Chauth Ki Kahani In Hindi

करवा चौथ की कहानी | Karva Chauth Ki Kahani | Karva Chauth Ki Kahani In Hindi

प्यारी बहनों,😍 प्यारे पाठकों, हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत बड़ा महत्व है। यह हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि करवा चौथ की कहानी  क्या है ❓Karva Chauth Ki Kahani

करवा चौथ एक ऐंसी कहानी जो शायद आपने न सुनी हो। करवा चौथ की कितनी बड़ी महत्ता है यह आपको इस करवा चौथ की कहानी से मालूम हो जाएगा। तो आइये, शान्त मन से शुद्ध चित्त से करवा चौथ की कहानी पढिए। 

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करवा चौथ का महत्व (Karva Chauth Ki Mahima)

एक पत्नी की सदैव यही इच्छा रहती है कि जीवन भर साथ देने वाला उसका प्रेमी पति हमेशा उसके साथ रहे। अपने सुहाग (पति) की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत लिया जाता है। 

करवा चौथ व्रत की कहानी भी कुछ ऐंसी ही है जिसमें एक पतिव्रता पत्नी करवा चौथ के व्रत से अपने मरे हुए पति को पुनर्जीवित कर देती है। पूरी करवा चौथ की कहानी क्या है। Karva Chauth Ki Kahani

आइये, विस्तार से पूरी कहानी पढ लीजिए। अन्त में वीडियो के माध्यम से भी करवा चौथ की कहानी दी गयी है जो आपको बहुत अच्छी लगेगी एवं एक नयी उर्जा देगी। तो चलिए, करवा चौथ की कहानी पढते हैं।


करवा चौथ की कहानी (Karva Chauth Ki Kahani)

एक बार की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का विवाह हो चुका था, बेटी अपने मायके में आयी थी। बेटी का नाम करवा था। सातों भाई अपनी इस इकलौती करवा बहन को बहुत गहरा प्रेम करते थे। अपनी बहन का पूरा ध्यान रखते है। 

जब करवा मायके में आयी हुई थी तो एक दिन शाम को सभी भोजन करने के लिए बैठे। कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी। अतः घर में साहूकार की सभी बहुओं ने और साहूकार की बेटी करवा ने चतुर्थी/ चौथ का व्रत रखा हुआ था। 

जब साहूकार के सभी बेटे भोजन के लिए बैठे तो उन्होंने अपनी बहन को भोजन करने के लिए कहा। भाइयों का भोजन करने के लिए बुलाने पर बहन ने कहा- भाई, अभी चाँद नहीं आया है। जब चाँद आ जाएगा तब मैं चाँद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा करके ही भोजन करुंगी। 

करवा के ऐंसा कहने पर भाइयों को चिन्ता हुई कि बहन भूखी है और अभी चाँद भी नहीं आया है। 

ऐंसे में सात भाइयों में से सबसे छोटा भाई बाहर किसी दूर के पेड़ पर जाकर उसमें अग्नि जलाकर उसमें एक छलनी लगाकर बहन के पास आया और बहन को कहने लगा- देखो बहन चाँद आ गया है। अब खाना खा लो। 

बहन करवा ने अनजाने में उसे ही चाँद समझकर अर्घ्य आदि देकर अपना व्रत पूरा किया और भोजन के लिए बैठ गयी।

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बहन ने अपनी भाभियों को भी कहा- भाभी देखो चाँद निकल आया है। अब आप लोग भी अर्घ्य देकर व्रत पूरा करके भोजन कर लो। भाभियों ने ननद करवा की बात सुनकर कहा- ननद, ये चाँद तुम्हारा आया है। हमारा नहीं। 

ऐंसा कहने के बाद यह करवा अकेले ही भोजन करने के लिए बैठ जाती है और जैंसे ही भोजन का पहला ग्रास अपने मुंह में लेती है तो उसे छींक आ जाती है। 

दूसरा ग्रास मुंह में लेती है तो उसमें बाल निकल जाता है। इसके बाद जैंसे ही भोजन का तीसरा ग्रास मुंह में लेने को रहती है तो उसी समय उसके ससुराल से न्योता आता है कि उसके पति का स्वास्थ्य बहुत खराब है। वह शीघ्र पति को देखने ससुराल आ जाए।


इसके बाद उसकी भाभी उसे सच्चाई बताती हैं कि उसके साथ ऐंसा इसलिए हुआ क्योंकि उसने करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया था। उसके भाइयों ने आग जलाकर झूठ कहा कि चाँद निकल गया और उसने सच मानकर अपना व्रत तोड़ दिया। इसी कारण उसका पति बीमार हुआ।

सच्चाई जानने के बाद जब करवा अपने ससुराल को जाती है और यह प्रतिज्ञा करती है कि मैं अपने पति को कुछ नहीं होने दुंगी। दुर्भाग्यवश, जब करवा अपने ससुराल पहुँचती है तो उसका पति प्राण छोड़ चुका होता है। 

पति के प्राण चले जाने पर करवा अपने दुःख को सहन नहीं कर पाती है और सभी से कहती है कि मैं अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने दुंगी। मैं अपने पति से दूर नहीं रह सकती। मैं एक पतिव्रता और सतीत्व की शक्ति से अपने पति के प्राणों को वापस लाउंगी। 

करवा की इन बातों को सुनकर सब उसे पागल-पागल कहने लगते हैं और करवा के पति को श्मशान में अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। करवा भी अपने हठ और पति के वियोग में श्मशान में चली जाती है और वंहा सबको अपने पति की चिता जलाने से इन्कार करती है।

करवा की बार-बार जिद करने पर सभी पारिवारिक लोग करवा की बात मान लेते हैं और करवा के पति का अंतिम संस्कार नहीं करते हैं। सब घर चले जाते जाते हैं। 

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करवा अपने मृत पति को लेकर दूर कंही एक झोपड़ी में रहने लगती है और अपने पति को जीवित करने के लिए भगवान की पूजा व्रत आदि करने लगती है। एक साल बीत जाता है। करवा उसी दिन का इंतजार करती है जब उसने अपने मायके में चतुर्थी का व्रत तोड़ा था। 

एक वर्ष बीतने के बाद जब फिर से वही कार्तिक मास की चौथ (चतुर्थी) का दिन आता है तो करवा अपने पति के प्राणों के लिए निर्जला करवा चौथ का व्रत रखती है। 

करवा अपने पति को पुनर्जीवित करने के लिए माँ जगदंबा से प्रार्थना करती है कि मेरे पति के प्राणों को वापस लायें। मुझे मेरा सुहाग वापस लौटाएं। 

जब करवा का यह व्रत पूरा होने को रहता है तो उसके व्रत से माँ प्रसन्न हो जाती है और उसे कहती है कि यदि तुम अपने पति के प्राणों को वापस पाना चाहती हो तो अपनी सबसे छोटी भाभी के पास जाओ। 

वही तुम्हारे पति के प्राणों को वापस ला सकती है क्योंकि करवा का व्रत तोडने का कारण उसका सबसे छोटा भाई ही था। उसी ने पेड़ पर अग्नि जलाकर बहन को झूठ कहा था कि चाँद आ गया है। 

अतः करवा अपनी सबसे छोटी भाभी के पास जाती है और उनके पांव को पकड़कर कहने लगती है कि मुझे मेरा सुहाग वापस दिलवा दो। 

बार-बार कहने से करवा की भाभी अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उससे रक्त अमृत निकालती है और करवा के पति के मुंह में डालती है। ऐंसा करने पर करवा का पति- "जय गणेश, जय गौरी, जय गणेश, जय गौरी" कहता हुआ पुनर्जीवित हो जाता है। 

इस प्रकार भगवान की कृपा से करवा का पति वापस आ जाता है तब करवा माँ गौरी से प्रार्थना करती है कि

हे माँ गौरी, जिस प्रकार आज आपने इस करवा को फिर से सुहागन बनाया और चिर सुहागन का वरदान दिया ठीक उसी प्रकार, हे माँ! सभी स्त्रियों को सुहागन का वरदान मिले।

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करवा चौथ की कहानी वीडियो (Karva Chauth Ki Kahani)

इस यूट्यूब चैनल की मैडम जी ने करवा चौथ की कहानी को बहुत ही सुन्दर तरीके से वीडियो के माध्यम से बताया है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।


करवा चौथ की कहानी का सार- Karva Chauth Kahani- Conclusion

इस प्रकार करवा चौथ की कहानी पूर्ण होती है। करवा के नाम से ही यह व्रत लोक में करवा चौथ के नाम से विख्यात हुआ। करवा चौथ की कहानी पढकर करवा चौथ व्रत का महत्व आपको अवश्य पता चल गया होगा। यदि आप करवा चौथ व्रत के लिए पूरा पूजा सेट, थाली, व्रत कथा आदि खरीदना चाहते हैं तो नीचे क्लिक करें। 

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करवा चौथ की कहानी के बारें में- अन्तिम‌ वाक्य

प्यारी बहनों, प्यारे पाठकों, हिंदू धर्म में करवा चौथ की कहानियाँ (कथाएँ) अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलती है। सभी कहानियों में करवा चौथ की उपरोक्त कहानी बहुत प्रसिद्ध है। 

करवा चौथ व्रत पूजा कैंसे करें? करवा चौथ व्रत में किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है इत्यादि करवा चौथ से जुड़ी रोचक व रहस्यमयी बातों को पढने के लिए आप हमारी इस वेबसाइट के मेनूबार में अवश्य जाएँ। धन्यवाद।


करवा चौथ की कहानी व करवा चौथ पर पूछे गये कुछ सवाल जवाब

  • करवा चौथ का त्यौहार इतना स्पेशल क्यों है?

हिंदू धर्म में पति-पत्नी का संबंध अटूट माना जाता है। अपने पति की दीर्घायु के लिए व सदैव सुहागन रहने के लिए एक पत्नी को करवा चौथ का व्रत अवश्य रखना चाहिए। यही कारण है कि करवा चौथ का त्यौहार बहुत खास (स्पेशल) माना जाता है।


  • करवा चौथ पर यदि पति घर पर न हो तो व्रत कैसे तोड सकते हैं?

यदि करवा चौथ के व्रत पर पति घर में न हो तो भगवान शिव व पार्वती की पूजा करके पति का चित्र (फोटो) देखकर व्रत पूरा करें (तोड़े)।


  • क्या करवा चौथ का व्रत हम बीच में तोड सकते हैं।

करवा चौथ का व्रत बीच में कभी भी नहीं तोडना चाहिए। ऐंसा करने से बहुत बड़ा दुष्परिणाम हो सकता है। 


  • करवा चौथ की पूजा विधि बताइए वीडियो

यदि आप करवा चौथ की पूजा विधि जानना चाहती हैं तो यंहा दिए गये लिंक पर क्लिक कर सकती हैं। यंहा करवा चौथ की पूजा विधि वीडियो सहित बताई गयी है।


  • करवा चौथ का व्रत की किताब

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  • करवा चौथ की थाली सजाने की विधि

करवा चौथ व्रत में करवा चौथ की थाली को सजाने का बहुत बडा महत्व है। इसका विशेष फल मिलता है। अतः करवा चौथ की थाली को अच्छे ढंग से पवित्रता से अवश्य सजाएं। 

सजाने की विधि- एक थाली लेकर उसमें सुन्दर स्वच्छ वस्त्र लगा दें। थाली के किनारे सितारों से सजाएँ। बीच में स्वच्छ दीपक को रखें। दीपक में फूल आदि रखें।  थाली को अपनी इच्छा से बेहतर तरीके से भी सजा सकते हैं।

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