Savarna Deergha Sandhi Sutram | सवर्ण दीर्घ संधि सूत्रम्- अर्थ, उदाहरण

Savarna Deergha Sandhi Sutram | सवर्ण दीर्घ संधि सूत्रम्- अर्थ, उदाहरण

विद्यालय, भवनीश, अवनीश, रजनीश, भानूदय इत्यादि बहुत सारे शब्द हैं जिनमें सवर्ण दीर्घसंधि है, लेकिन क्या आपको पता है कि सवर्णदीर्घ संधि किस सूत्र से होती है? 

जी हाँ, आज हम आपको बताएंगे- Savarna Deergha Sandhi Sutram (सवर्ण दीर्घ संधि सूत्रम्) हिंदी व्याकरण हो चाहे कोई दूसरा व्याकरण। सबका आधार संस्कृत भाषा ही है। संस्कृत व्याकरण में सवर्ण दीर्घ संधि के लिए एक विशेष सूत्र है जो हिंदी में भी वैंसे ही घटित होता है जैंसे कि संस्कृत में। तो चलिए, जानते हैं- सवर्ण दीर्घ संधि सूत्र के बारें में- 


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सवर्ण दीर्घ संधि सूत्रम्- Savarna Deergha Sandhi Sutram

संस्कृत व्याकरण में सवर्ण दीर्घ संधि के लिए महर्षि पाणिनि ने एक सूत्र बनाया- अकः सवर्णे दीर्घः (सवर्ण दीर्घ संधि सूत्रम्) यही सवर्ण दीर्घ संधि सूत्र है। 


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सवर्ण दीर्घ संधि सूत्र- अर्थ, परिभाषा, उदहारण-Savarna Deergha Sandhi Sutram- Arth 

  • सूत्रम्- अकः सवर्णे दीर्घः
  • संस्कृत परिभाषा- अकः सवर्णेsचि परे दीर्घ एकादेशः स्यात्। 
  • हिंदी अर्थ- अ,इ,उ,ऋ,लृ (अक् प्रत्याहार) के बाद यदि समान स्वर (अच्) आए तो दोनों के स्थान पर दीर्घ एकादेश हो जाता है।
  • उदाहरण- दैत्यारिः, श्रीशः, विष्णूदयः आदि।


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उदाहरण सहित स्पष्टीकरण- Savarna Deergha Sandhi Sutram

सवर्ण दीर्घ संधि को सरलता से समझने के लिए यंहा एक उदाहरण को देखते हैं- 


सवर्ण दीर्घ संधि रूप- विद्यालय

संधिविच्छेद ➡

विद्या+ आलय

संधि प्रकार ➡

सवर्ण दीर्घ संधि

सवर्णदीर्घ संधि सूत्रम् ➡

अकः सवर्णे दीर्घः


स्पष्टीकरण- सवर्ण दीर्घसंधि उदाहरण

विद्यालय इस शब्द में सवर्ण दीर्घ संधि है। अकः सवर्णे दीर्घः- इस Savarna Deergha Sandhi Sutram से यंहा दीर्घ संधि होती है। विद्या+आलय इस स्थिति में विद्या का आ और आलय का आ दोनों मिलकर एक हो जाते हैं। अर्थात् दोनों के स्थान पर दीर्घ एकादेश हो जाता है। इस प्रकार विद्या+आलय= विद्यालय संधि रूप बन जाधन्यवाद।


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ऐंसा ही Savarna Deergha Sandhi का एक और रोचक उदाहरण देखते हैं- मनीष+आरती। यंहा मनीष और आरती दो शब्द हैं। दोनों में अ+आ है। दोनों मिलकर एक हो जाते हैं तो सवर्ण दीर्घ संधि सूत्र से मनीषारती- एक  शब्द बन जाता है। 

इस प्रकार प्रेम में ❤ मनीष और आरती दोनों एक होकर दीर्घ बन जाते हैं और एक दूसरे में मिलकर मनीषारती बन जाते हैं। यह है एक Savarna Deergha Sandhi Sutram का प्रभाव। 

अतः आपको संस्कृत व्याकरण अथवा हिंदी व्याकरण अवश्य पढना चाहिए। हमें उम्मीद है सवर्ण दीर्घ संधि के विषय में यह छोटा सा लेख आपको पसंद आया होगा। धन्यवाद।


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1 Comments

  1. बहुत अच्छे प्रकार से आपने दीर्घ सन्धि का विवेचन किया है

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