प्रमाण मीमांसा • क्या है: Praman Mimansa | UGC NET Sanskrit Notes 2022 - प्रमाणमीमांसा
अपि प्रेयांसः मित्राणि। यूजीसी नेट संस्कृत 25 कोड के अन्तर्गत वन्दे संस्कृतमातरम् परिवार अभी तक बहुत सारी इकाइयों को पूर्ण कर चुका है।
जैंसे कि आप सभी जानते होंगे कि यू जी सी नेट संस्कृत 25 कोड के अन्तर्गत दर्शनशास्त्र से सम्बन्धित कुल दो यूनिट हैं।
जिनमें एक- दर्शन शास्त्रों का सामान्य अध्ययन (प्रमाणमीमांसा, तत्त्वमीमांसा, आचारमीमांसा) यूनिट- 3 के रूप में लगी हुई है एवं दर्शनशास्त्रों का विशिष्ट अध्ययन- चतुर्थ यूनिट के रूप में लगा हुआ है।
यदि आप यूजीसी नेट संस्कृत 25 कोड का
सम्पूर्ण पाठ्यक्रम देखना चाहते हैं तो वेबसाइट पर UGC NET Sanskrti Syllabus पर जाएँ।
प्रेयांसः मित्राणि- आज के इस लेखोपक्रम
में हम यूजीसीनेट संस्कृत 25 कोड की 3 तीसरी यूनिट का अध्ययन करेंगे। इसके
अन्तर्गत भी हम यंहाँ प्रमाण मींमासा का विशेष उल्लेख करेंगे तत्पश्चात् तत्त्वमीमांसा
एवं आचारमीमांसा का उल्लेख किया जाएगा।
- दर्शन शब्द की व्युत्पत्ति क्या है
- दर्शन शब्द का अर्थ क्या है
- भारतीय दर्शन कितने हैं
- आस्तिक दर्शन किसे कहा जाता है
- नास्तिक दर्शन किसे कहा जाता है
- किस दर्शन ने कितने प्रमाण स्वीकार किए
मित्रों हो ना हो आपके मन में भी उपरोक्त सारे प्रश्न जरूर होंगे लेकिन इन प्रश्नों का उत्तर शायद ही आपके पास हो। इन्हीं सभी प्रश्नों को लेकर UGC NET Sanskrit 25 Code Syllabus को ध्यान में रखते हुए आज हम यंहा प्रमाण मीमांसा की विस्तृत चर्चा करेँगे।
तर्हि आयान्तु मित्राणि। प्रारभामहे। मित्रों सर्वप्रथम- दर्शन शब्द की व्युत्पत्ति क्या है, दर्शन शब्द का अर्थ क्या है। यह जान लेना अत्यावश्यक है।
दर्शन शब्द की व्युत्पत्ति / दर्शन का अर्थ
मुखं व्याकरणं स्मृतम् व्याकरण के अनुसार दर्शन शब्द- दृशिर प्रेक्षणे धातु से करण अर्थ में ल्युट् प्रत्यय करने से व्युत्पन्न होता है।
अतः दर्शन शब्द का अर्थ होता है- देखना अथवा जिसके द्वारा देखा जाए। दर्शन शब्द का अर्थ केवल देखना ही नहीं है बल्कि पाणिनि ने- दृशिर् धातु को प्रेक्षणे अर्थ में ग्रहण किया।
प्रेक्षणे अर्थात- प्रकृष्ट ईक्षण, अन्तश्चक्षुओं के द्वारा मनन करना ही दर्शन कहलाता है। अंग्रेजी में यह दर्शन शब्द Philoshophy के रूप में जाना जाता है।
दर्शन कितने है- दर्शन के प्रकार ?
सामान्यरूप से दर्शनों की संख्या अत्यधिक
है। तथापि जब भारतीय दर्शनों की चर्चा की जाती है तो मुख्य रूप से भारतीय दर्शन दो
भागों में विभाजित किए जाते हैं।
- · आस्तिक दर्शन
- · नास्तिक दर्शन
उपरोक्त दो विभाजन दर्शनों के भारतीय परम्परा में अति प्रसिद्ध हैं। आस्तिक दर्शन अर्थात्- वेद की सत्ता को मानने वाले। नास्तिक दर्शन अर्थात्- वेद की सत्ता को न मानने वाले।
इस प्रकार आस्तिक दर्शनों की श्रेणी में भारतीय षड्दर्शन अत्यन्त प्रसिद्ध हैं। उसी प्रकार नास्तिक दर्शनों में चार्वाक्, जैन एवं बौद्ध दर्शनों का समाहार किया जाता है।
प्रमुख भारतीय दर्शनों का परिचय (तालिका)
आस्तिक दर्शन |
नास्तिक दर्शन |
न्याय, वैशेषिक |
चार्वाक् |
सांख्ययोग |
जैन |
पूर्वोत्तरमीमांसा |
बौद्ध |
प्रमुख भारतीय दर्शनों के प्रथम सूत्र ।।
प्रमुख दर्शन |
प्रथम सूत्र |
पूर्वमीमांसा |
अथातो धर्मजिज्ञासा। |
उत्तरमीमांसा |
अथातो ब्रह्मजिज्ञासा। |
न्याय |
प्रमाणप्रमेयसंशयप्रयोजन........निश्रेयसाधिगमः। |
वैशेषिक |
अथातो धर्मं व्याख्यास्यामः। |
सांख्य |
अथ
त्रिविधदुःखात्यन्तनिवृत्तिरत्यन्तपुरुषार्थः। |
योग |
अथ योगानुशासनम्।। |
भारतीय दर्शनों के सम्बन्ध में
प्रमाणमीमांसा।।
मित्रों सर्वप्रथम, आप सभी के मन में यह प्रश्न होना अभीष्ट है कि प्रमाणमीमांसा इस शब्द का क्या अर्थ है। जी हाँ। प्रमाण और मीमांसा इन दो शब्दों से बना यह प्रमाणमीमांसा किसी भी दर्शन में उसके प्रारम्भिक मूलभूत अध्ययन तत्त्वों में से एक है।
प्रमाण शब्द का अभिप्राय है कि किस दर्शन में कितने प्रमाण हैं। सभी दर्शनों के अनुसार स्वीकृत प्रमाणों का परस्पर विश्लेषण ही प्रमाण मीमांसा कहलाता है।
तो आइये मित्रों निम्न तालिका के माध्यम से भारतीय दर्शनों में प्रमाणमीमांसा को समझते हैं।
भारतीय दर्शन |
प्रमाणसंख्या |
न्याय |
4. प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द। |
वैशेषिक |
2. प्रत्यक्ष, अनुमान। |
सांख्य |
3. प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द। |
योग |
3. प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द। |
मीमांसा प्राभाकर |
5. प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द,
अर्थापत्ति। |
मीमांसा भाट्ट |
6. प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति,
अभाव। |
वेदान्त |
6. प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति,
अभाव। |
पौराणिक |
8. प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति,
अभाव, सम्भव, ऐतिह्य़। |
चार्वाक् |
1 प्रत्यक्ष। |
जैन |
2. प्रत्यक्ष, अनुमान। |
बौद्ध |
2. प्रत्यक्ष, अनुमान। |
अन्ततोगत्वा भारतीय दर्शनों में प्रमाणमीमांसा का विश्लेषण करने पर यह प्रतीत होता है कि निस्सन्देह सभी भारतीय दर्शन किसी न किसी रूप में अपने मत को श्रेष्ठ प्रतिपादित करते हुए अपने महत्त्व पर अधिक बल देते हैं, तथापि सभी दर्शन किसी न किसी रूप में एक दूसरे से नूनमेव सम्बद्ध हैं।
मित्रों, इस प्रकार आज हमने प्रमुख भारतीय दर्शनों में प्रमाणमीमांसा का अध्ययन तथा विश्लेषण किया, जो कि UGC NET Sanskrit 25 Code के पाठ्यक्रम में है।
यदि आप के पास यूजीसीनेट संस्कृत 25 कोड का सिलेबस न हो तो आप निम्न लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।
UGC NET SANSKRIT SYLLABUS 2021-22
।।धन्यवादः।।
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