वेदों के भाष्यकार
सभी संस्कृत UGC NET SANSKRIT PREPARATION करने वाले, एवं अन्य परीक्षार्थियों का आज के इस महत्वपूर्ण नोट्स ( लेख ) में स्वागत है। मित्रों- जब हम वैदिक साहित्य की बात करते हैं तो , यह विषय अत्यंत आवश्यक हो जाता है । चूंकि, "वेदों के भाष्यकार VEDO KE BHASYAKAR" यंहा से बहुत बार प्रश्न पूछे गये हैं।
तो चलिए - हम शुरु करते हैं - सबसे नीचे इसी विषय का Quiz रखा गया है ! इसको पढने के बाद उनके उत्तर दीजिये ~
इस लेख में
- UGC NET SANSKRIT NOTES- वेद भाष्यकार
- UGC NET SANSKRIT VEDIC SAHITYA
- वेदों के भाष्यकारों का विस्तृत परिचय
- UGC NET SANSKRIT NOTES UNIT- 1
- UGC NET SANSKRIT CODE 25 & 73
( ऋग्वेद - भाष्यकार )
स्कन्दस्वामी (समय: 687 ई०पू०)
स्थान - गुजरात (वलभी) पिता- भर्तृध्रुव
शिष्य हरिस्वामी (शतपथब्राह्मण भाष्यकार)
- ऋग्वेद के सबसे प्राचीन वेद भाष्यकार।
- ऋग्वेद पर भाष्य - 600 - 625 ई०पू०
- निरुक्त पर इन्होंने टीका लिखी।
- इन्होंने ऋग्वेद के प्रथम चार अष्टकों पर ही भाष्य लिखा ।
महत्वपूर्ण तथ्य
स्कन्दस्वामी ने - "अत्र" शब्द के लिए - अपनी निरुक्त टीका में - प्रयस् , तथा अपने भाष्य में श्रवस शब्दों का उल्लेख किया है।
नारायण
स्थान- दक्षिण भारत समय: 7 वीं शताब्दी
प्रसिद्ध वेद भाष्यकार
महत्वपूर्ण तथ्य
- इन्होंने ऋग्वेद के पंचम अष्टक तथा सप्तम अष्टक के उपर अपना भाष्य लिखा।
उद्गीथ समय: ७ ई०पू०
- ऋग्वेद दशम मण्डल के ५ वें सूक्त पर इनका भाष्य मिलता है।
ध्यातव्य - स्कन्दस्वामी, नारायण, उद्गीथ इन तीनों ने मिलकर ऋग्वेद पर भाष्य लिखा।
- ऋग्वेद के प्रथम भागों पर - स्कन्दस्वामी
- ऋग्वेद के मध्य भाग पर - नारायण
- ऋग्वेद के अन्तिम भाग पर- उद्गीथ
- ये भी वेदों के अन्यतम भाष्यकार हैं।
वेंकट माधव - समय: 11 वीं शताब्दी
निवास स्थान चोल देश
प्रसिद्ध वेद भाष्यकार
यंहा से प्रश्न पूछे जाते हैं -
- भाष्य का नाम - ऋगर्थदीपिका
- पिता - वेंकट माता - सुन्दरी
- दादा- माधव गोत्र- कौशिक
- भाई - संकर्षण पुत्र - वेंकट, गोविन्द
धनुष्क यज्वा - समय: 13 वीं शताब्दी
ध्यातव्य प्रश्न - UGC NET
- इनकी उपाधि त्रिवेणी भाष्यकार
- "वेदभूषण" नामक भाष्य लिखा।
- इन्होंने तीनो वेदों पर भाष्य लिखा।
आनन्दतीर्थ 1225 - 1335 शताब्दी
नोट: UGC NET SANSKRIT, आदि परीक्षा में यंहा से प्रश्न पूछे गये हैं।
- अन्य नाम मध्वाचार्य, पूर्णप्रज्ञ।
- इनका भाष्य - ऋग्वेद के प्रथम 40 सूक्तों पर।
- द्वैतसम्प्रदाय वाले
- इनके भाष्य के टीकाकार - जयतीर्थ
- इनके भाष्य के विवृत्तिकार - नरसिंह
- दूसरे वृत्तिकार - नारायण (टीका- भावरत्नप्रकाशिका)
- इनके भाष्य पर व्याख्यान - राघवेन्द्र यति का
सायणाचार्य - समय: 1317 से 1387
ध्यातव्य - सायण एक सर्वोच्च भाष्यकार हैं। इन्होंने चारो
वेदों पर भाष्य लिखा । सबसे प्रसिद्ध वेद भाष्यकार
महत्वपूर्ण तथ्य
- निवास स्थान - आन्ध्रप्रदेश (विजयनगर)
- पिता - मायण माता - श्रीमायी देवी
- गोत्र - भारद्वाज भाई - माधव , भोगनाथ
- पुत्र - कम्पण , मायण एवं शिंगण ।
- इनके तीन गुरु थे - १) विद्यातीर्थ २) भारतीतीर्थ ३) श्रीकण्ठ
- ऋग्वेद संहिता भाष्य
- शु०य० काण्वसंहिता पर
- कृ०य० तैत्तिरीय संहिता पर
- सामवेद संहिता भाष्य
- अथर्ववेद संहिता भाष्य
- ऐतरेय उपनिषद् दीपिका
- सामप्रातिशाख्य
- सुभाषित सुधानिधि
- आयुर्वेद सुधानिधि
- अलंकार सुधानिधि
- प्रायश्चित सुधानिधि
- पुरुषार्थ सुधानिधि
- यज्ञयंत्र सुधानिधि
- सायण की धातुवृत्ति
नोट- इनके भाई का नाम माधव था अतः इन्होंने अपने भाष्य को - " माधवीय भाष्य " कहा है।
ध्यातव्य - इनकी धातुवृत्ति का नाम - " माधवीय धातुवृत्ति " है।
सायण ने प्रायः सभी ब्राह्मण ग्रंथों एवं कयी आरण्यक ग्रन्थों पर अपना भाष्य लिखा
है।
आत्मानन्द - समय - 13 वीं शताब्दी
महत्त्वपूर्ण तथ्य
इनका भाष्य ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के अस्यवामीय सूक्त (1/164) के उपर है।
इनके भाष्य का नाम - अस्यवामीयसूक्तभाष्यम्
ये एक अद्वैतवादी थे। प्रसिद्ध वेदभाष्यकार
महर्षि दयानंद - समय: 1881- 1940
ध्यातव्य - महर्षि दयानंद ने भी ऋग्वेद पर अपना भाष्य लिखा । इनका ऋग्वेदादि भाष्य 1935 में
प्रकाशित हुआ था। प्रसिद्ध वैदिक भाष्यकार
महत्वपूर्ण तथ्य
- जन्म - 1881 मृत्यु - 1940
- गुरु - विरजानन्द भाष्यलेखन- 1933
- इनका भाष्य - ऋग्वेद के 7 वें मण्डल के 2 सूक्त पर
इन्होंने निरुक्त में तीन स्थानी देवों एवं 33 कोटि देवताओं की स्तुति का खण्डन किया है।
( यजुर्वेद भाष्य )
उव्वट समय: 11 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - संहिता पर उव्वट का भाष्य अत्यन्त प्रसिद्ध है।
इनके भाष्य का नाम "उव्वटभाष्यम् " है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- निवास स्थान - आनन्दपुर पिता - वज्रट
- राजा - महाराज भोज के शासनकाल में
- भाष्य - उव्वट भाष्य, इशोपनिषद्भाष्य
महीधर समय: 12 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - इन्होंने यजुर्वेद पर अपना भाष्य लिखा एवं उव्वट को ही आधार बनाया। इनका वचन- वेद शब्दप्रधान शास्त्र है। उनके त्रिविध अर्थ हैं- १) आधिदैविक २) आधिभौतिक ३) आध्यात्मिक
महत्वपूर्ण तथ्य
- निवास स्थान - काशी जाति- ब्राह्मण
- भाष्य का नाम - वेददीप तन्त्रग्रंथ - मन्त्रमहोदधि
- महीधर ने वाजसनेयी संहिता पर अपना प्रसिद्ध "वेददीप" नामक भाष्य लिखा।
हलायुध समय: 12 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - हलायुध ने यजुर्वेद की काण्व संहिता पर अपना भाष्य लिखा। ये बंगाल नरेश - लक्ष्मण सेन के दरबार में धर्म अधिकारी थे।
महत्वपूर्ण तथ्य
- पिता - धनन्जय गोत्र - वत्स
- भाष्य - ब्राह्मणसर्वस्व काण्व संहिता पर
इनके अन्य ग्रंथ
- मीमांसासर्वस्व
- वैष्णवसर्वस्व
- शैवसर्वस्व
- पंण्डितसर्वस्व
अनन्ताचार्य समय: 16 वीं शताब्दी
अनन्ताचार्य एक काण्वशाखीय ब्राह्मण थे। इन्होंने अपना भाष्य काण्व संहिता के उपर लिखा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- पिता - नागेशभट्ट माता - भागीरथी
- निवास - काशी जाति - ब्राह्मण
- इनके भाष्यों का विवरण
- भाषिकसूत्रभाष्य
- यजुःप्रातिशाख्यभाष्य
- शतपथब्राह्मणभाष्य
- वेदार्थदीपिका
- भावार्थदीपिका
- कात्यायन स्मार्त मंत्रार्थ दीपिका
- कण्व कंठाभरण
- काण्व संहिता के उत्तरार्ध पर - (21 से 40 अध्याय)
भट्टभास्कर मिश्र समय: 11 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - यजुर्वेद की तैत्तिरीय संहिता पर लिखे गये भाष्यों में भट्टभास्कर के भाष्य का प्रथम स्थान है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- गोत्र - कौशिक शैव मतावलंबी
- भाष्य - ज्ञानयज्ञ तैत्तिरीय संहिता पर
शौनक समयः 7 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - शौनक आचार्य ने यजुर्वेद की माध्यन्दिनी संहिता पर अपना भाष्य लिखा।
महत्वपूर्ण तथ्य
- भाष्य - पुरुषसूक्त पर 31 वां अध्याय
- इन्होंने वैष्णव मत की पुष्टि की है।
- शौनक का भाष्य भी प्रसिद्ध है।
धर्मसम्राट् करपात्री स्वामी समय: २० वीं शताब्दी
ध्यातव्य - करपात्री स्वामी जी ने चारों वेदो पर भाष्य लिखा है।
इनका महानिर्वाण - सन् 1982 में हुआ।
महत्वपूर्ण तथ्य
- भाष्य - शुक्लयजुर्वेद अन्य वेदों पर भी
- २० वीं शताब्दी के प्रमुख भाष्यकार
करपात्री जी के अन्य ग्रंथ
१-) वेद प्रामण्य मीमांसा
२-) वेदस्वरूपविमर्श
३-) वेद का स्वरूप और प्रामाण्य
४-) भक्तिरसार्णव
५-) रामायणमीमांसा
६-) श्रीविद्यारत्नाकर
( सामवेद - भाष्य )
माधव समय: 7 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - माधव सामवेद के प्रथम भाष्यकार हैं । इन्होंने सम्पूर्ण सामवेद पर भाष्य लिखा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- भाष्य का नाम - विवरण (सामविवरण)
- इन्होंने सामवेद पर लिखे भाष्य को दो भागों में विभक्त किया
- छन्दरसिका 2. उत्तर विवरण
भरतस्वामी समय: 13 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - सामवेद के भाष्यकारों में भरतस्वामी भी अति प्रसिद्ध हैं ।
महत्वपूर्ण तथ्य
- पिता - नारायण माता - यज्ञदा
- गोत्र - कश्यप भाष्य - सामवेद पर
गुणविष्णु समय: 12 वीं शताब्दी
ध्यातव्य - सामवेद पर इन्होंने बहुत ही अच्छा भाष्य लिखा।
इन्होंने सामवेद की कौथुम शाखा पर भाष्य लिखा।
महत्वपूर्ण तथ्य
- भाष्य का नाम - छान्दोग्य मन्त्रभाष्य
- अन्यभाष्य - मन्त्रब्राह्मणभाष्य
- पारस्करगृह्यसूत्रभाष्य
( अथर्ववेद - भाष्य )
ध्यातव्य - अथर्ववेद संहिता पर मात्र सायणाचार्य का ही भाष्य प्राप्त होता है।
- सायण ने सम्पूर्ण अथर्ववेद पर भाष्य लिखा, लेकिन वर्तमान में यह पूर्णरूप से प्राप्त नहीं होता ।
अयि प्रेयांसः !
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16 Comments
Nice work
ReplyDeleteबहात आच्छे गुरुजी..
ReplyDeleteugc net sanskrit paper के लिये बहात् लाभजनक है
हृदा धन्यवचांसि वितनोमि ! प्रसारयतु! कृपया
ReplyDeleteNice sir,,,70%
ReplyDelete70
ReplyDeleteNyc work
ReplyDeleteBhot acha kaam hai
ReplyDeleteआप सभी लोगों का ! धन्यवाद
ReplyDeleteAti Uttamam
ReplyDeleteVery helpful topic . thanks a lot sir
ReplyDeleteToo much - helpful... Thanks
ReplyDeleteश्लाघनीय प्रवृत्तिः
ReplyDeleteभवते हार्दः धन्यवादः
Deleteधन्यवादः सर्वेभ्यः
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कोठारी जी... 👌👌
ReplyDeleteसराहनीय कार्य 🌷🌷
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