गर्व होना चाहिए- हमें अपनी जननी संस्कृत भाषा पर। अपनी संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करें! व संस्कृत भाषा में ही परस्पर वार्तालाप करने का संकल्प करें! मित्रों!, आज हम आपके लिए संस्कृत भाषा से जुड़ी हैरान कर देने वाली अद्भुत जानकारी लेकर आए हैं।
जी हाँ, संस्कृत भाषा का इतिहास व वैज्ञानिक रहस्य आपको सच में हैरान कर देगा। आइये, जानते हैं, संस्कृत भाषा के अद्भुत रहस्य व इतिहास।
संस्कृत भाषा का इतिहास- Sanskrit Language
विश्व की सभी भाषाओं की जननी, देवों की वाणी संस्कृत भाषा का विज्ञान अत्यन्त विस्तृत एवं गहरा है। आज पाश्चात्य देशों में संस्कृत का जयघोष हो रहा है ,! आखिर,क्यों!
क्योंकि संस्कृत भाषा का शब्दकोश, संस्कृत भाषा का व्याकरण एवं संस्कृत भाषा का वाङ्गमय अत्यन्त रहस्यपूर्ण विषय है। यही कारण है कि आज विश्व के सभी देश संस्कृत भाषा सीखने को लालायित हैं!!!
ऐसें में, हम भारतमाता के सपूतों के लिए यह गौरव की बात तो है ही, लेकिन - इसी के साथ लज्जित करने वाली भी है! लज्जित करने वाले , इसलिए क्योंकि यदि हमें संस्कृत भाषा बोलनी न आती हो, तो निस्सन्देह लज्जित करने वाली बात ही है।
संस्कृत भाषा : Sanskrit Language
हैरान करने वाली बातें
- सबसे अधिक शब्द यदि किसी भाषा में हैं तो वह संस्कृत भाषा ही है।
- Computer Algorithm के लिए सबसे अच्छी एवं उपयोगी भाषा - संस्कृत
- सबसे सुव्यवस्थित एवं अद्भुत व्याकरण - संस्कृत
- NASA (American space organization) के द्वारा सबसे Best language का दर्जा!
- आर्यभट्ट, सुश्रुत, चरक आदि महान वैज्ञानिकों की भाषा
- संस्कृत भाषा का व्याकरण इतना सुदृढ़ है कि कोई व्यक्ति निरन्तर संस्कृत भाषा बोलने से अपनी अनेक बीमारियों को भी दूर कर सकता है।
- अमेरिका में एक बार - रिक ब्रिग्स ने कहा था- "दुनिया में यदि कोई भाषा सबसे स्पष्ट है तो वह एक मात्र संस्कृत है।"
- जर्मनी देश में आज १४ विश्वविद्यालय ऐसें हैं जंहा संस्कृत का विशेष अध्यापन चल चल रहा है।
- विश्व की सभी भाषाओं में मात्र एक संस्कृत भाषा का व्याकरण ऐंसा है, जिसमें अभी तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ ।
- संस्कृत एक ऐंसी दिव्य भाषा है , जिसमें किसी भी वाक्य को सबसे अधिक तरीकों में बोला जा सकता है।
- संस्कृत में किसी भी वाक्य को उल्टा,सुल्टा करने से अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता।
- भारत में कर्नाटक (मैसूर) एक एसा गांव है जंहा सभी लोग जन्म से ही संस्कृत बोलते हैं।
- विश्व की 99% भाषाएँ संस्कृत भाषा से प्रभावित हैं।
संस्कृत व्याकरण - वैज्ञानिक भी हैरान
जब हम संस्कृत व्याकरण की बात करते हैं, तो सर्वप्रथम तो हमें यह बात प्रायः अच्छी तरह पता है कि संस्कृत भाषा का व्याकरण बहुत प्राचीन है।
यदि, हम बात करें , संस्कृत भाषा की तो - संस्कृत की प्राचीनता से तो सम्पूर्ण जनमानस परिचित ही है। जैंसे कि ➡
"ब्रह्मा बृहस्पतये, बृहस्पतिरिन्द्राय, इन्द्रो भारद्वाजाय भारद्वाजः ब्राह्मणेभ्यः आदि" यह उक्ति तो आप सभी ने सुनी ही होगी। इससे निस्संदेह मालूम होता है कि संस्कृत भाषा अनादि काल से चलती आ रही है।
संस्कृत व्याकरण की जब हम बात करते हैं तो - आज से लगभग हजारों वर्ष पूर्व - साक्षात् ईश्वर के अवतार के रूप में महर्षि पाणिनि ने संस्कृत भाषा को एक सुदृढ़ व्याकरण का कलेवर प्रदान किया।
संस्कृत व्याकरण के जनक महर्षि पाणिनि ने भगवान शंकर की कृपा से संस्कृत भाषा के लिए एक अद्भुत व्याकरण लिखा। जैंसे कि-
नृतावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपंचवारम्।
उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्।।
संस्कृत व्याकरण की दिलचस्प कथा
कथा-प्रसंग ➡ महर्षि पाणिनि की संस्कृत जगत् में यह कथा प्रसिद्ध है। भगवान् पाणिनि ने संस्कृत व्याकरण का सृजन कैंसे किया।
उपरोक्त श्लोक के माध्यम से सुस्पष्ट हो जाता है।
कहा जाता है कि पाणिनि भगवान शंकर के परमभक्त थे। अतः भगवान की पूजा में ही लगे रहते थे। पाणिनि ने एक बार भगवान शंकर की दीर्घकालीन तपस्या आरंभ की।
काल के व्यतीत होने के साथ ही जब भगवान शंकर पाणिनि के तप से प्रसन्न हुए तो उन्होंने पाणिनि को अपना दिव्य दर्शन कराया, और अपने नृत्य के पश्चात् वे अपने डमरू को बजाने लगे। इसी बीच डमरू बजाते समय उससे निकले हुए शब्द ध्वनियाँ पाणिनि ने सूत्रों में बांध दी।
भगवान शंकर के चौदह बार डमरू बजाने से निकले चौदह शब्द - पाणिनि ने व्याकरण के चौदह सूत्र बना डाले। भगवान शंकर के डमरू से निकलने के कारण इनका नाम - माहेश्वर सूत्र पड़ गया। यंही से पाणिनि से इन चौदह माहेश्वर सूत्रों से समग्र संस्कृत व्याकरण की रचना कर डाली ।
उनकी यह रचना - अष्टाध्यायी के रूप में व्यवहृत होने लगी।चूंकि , इस अष्टाध्यायी में ८ अध्याय थे अतः इसका नाम अष्टाध्यायी रखा गया। इस प्रकार महर्षि पाणिनि ने संस्कृत के एक अद्भुत व्याकरण का सृजन किया।
संस्कृत व्याकरण के त्रिमुनि
(तीन स्तंभ) पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि
प्राक्कथन ➡ जब हम संस्कृत व्याकरण की बात करते हैं तो व्याकरण के तीन मुनि स्वतः स्मरण हो आते हैं। जी हां! व्याकरण के तीन मुनि - पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि ; जिन्होंने संस्कृत व्याकरण को उत्तरोत्तर क्रम में नया रूप दिया।
पाणिनि ➡ सर्वप्रथम संस्कृत व्याकरण के स्रष्टा महर्षि पाणिनि ने भगवान शंकर की कृपा से संस्कृत व्याकरण का एक अद्वितीय ग्रन्थ लिखा। जो कि आज विश्व में रहस्य के रूप में देखा जाता है।
महर्षि पाणिनि ने आठ (८) अध्यायों में विभक्त अष्टाध्यायी नामक एक ग्रन्थ की रचना की। जिसमें कि लगभग चार हजार सूत्र हैं ।
कात्यायन ➡ अष्टाध्यायी रचना के उपरांत कात्यायन ने अष्टाध्यायी पर वार्तिकों की रचना की। महर्षि पाणिनि के द्वारा अष्टाध्यायी में जंहा कंही कुछ अवशेष रह गया था उसको पूर्ण करने के लिए कात्यायन ने अपने वार्तिक लिखने प्रारंभ किये।
पतंजलि ➡ "उत्तरोत्तरं मुनीनां प्रामाण्यम्" कालक्रम से आगे चलकर पाणिनि व्याकरण अर्थात् अष्टाध्यायी के ऊपर महर्षि पतंजलि ने अपना भाष्य लिखा, जो कि संस्कृत जगत् में अति प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ। महर्षि पतंजलि ने अष्टाध्यायी पर अपना - बृहद्भाष्य लिखा। जिसका नाम महाभाष्य के रूप में प्रथित हुआ।
संस्कृत भाषा व व्याकरण (Sanskrit Language)
विशेष ➡ व्याकरण के त्रिमुनि संस्कृत जगत् में अत्यन्त प्रसिद्ध हैं । आगे चलकर कालान्तर में व्याकरण के विभिन्न आचार्य हुए, जिन्होंने संस्कृत व्याकरण को निरन्तर कालानुसार एक नया रूप प्रदान किया, जिनमें वरदराजाचार्य आदि अत्यन्त प्रसिद्ध हुए ।
वरदराजाचार्य ने संस्कृत व्याकरण को अत्यन्त सरल बनाने के लिए - अपना अद्भुत ग्रंथ "लघुसिद्धान्त" की रचना की। आज के समयानुसार वरदाज का यह ग्रंथ सामान्य जन के लिए अत्यन्त उपयोगी है।
निष्कर्ष ➡ वास्तव में संस्कृत व्याकरण की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। इसका व्याकरण एवं दिव्यता आज भी सम्पूर्ण विश्व के लिए रहस्य बनकर उभरी है। संस्कृत भाषा को आत्मसात् करना हम भारतीयों के लिए एक अत्यन्त गौरवपूर्ण बात होगी। अतः हम सभी को संस्कृत बोलने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए।
धन्यवादः
4 Comments
Such a brilliant post 🌷💐
ReplyDeleteआपका हृदय की गहराइयों से धन्यवाद!!you- Such a beautiful and great man/lady who is interested in Sanskrit !! Thanks heartily.
ReplyDeleteअति सुन्दर 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
ReplyDeleteSanskrit is the greatest language and mother of all languages... Thanks sir
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